इमरान "प्रतापगढ़ी" कौन है ?
इमरान "प्रतापगढ़ी " जिला प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश के एक प्रसिध्द शायर है जिनको अपनी शायरी के लिए प्रदेश के सबसे उच्चतम पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चूका है |
इमरान "प्रतापगढ़ी" का जीवन परिचय ?
मैं सोच रहा था जीवनी पर सर्च किया जाए, अभी याद आया हमारे जिले के सबसे चहेते इमरान प्रतापगढ़ी के बारे में क्यों ना लिखा जाए जानते हैं इमरान प्रतापगढ़ी के जीवन से जुड़ी कुछ बातें :
आपका जन्म उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में 6 अगस्त 1987 को हुआ था, आपके पिता मोहम्मद इलियास खान ने आपका नाम मोहम्मद इमरान खान रखा था, प्रसिद्धि मिलने के पश्चात अपने जिले शिव जुड़ाव महसूस करने के लिए आपने अपने नाम से खान को हटाकर इमरान प्रतापगढ़ी रख लिया, अब दुनिया आपको इमरान प्रतापगढ़ी के नाम से ही जानती है |
आपने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर की पढ़ाई हिंदी साहित्य में पूरी की, आपने अपनी पहली कविता हिंदी में लिखी थी और उसके बाद कई सम्मेलनों में कवि सम्मेलनों में भाग भी लिया था |
इमरान "प्रतापगढ़ी" को कौन से पुरस्कार से सम्मानित किया गया ?
आपने सौ से भी ज्यादा अधिक नज्में लिखें, जिसमें से एक नज्में मदरसा 2008 में बहुत पसंद किया गया, उसके बाद आपने पीछे मुड़कर नहीं देखा आपने अपनी रचनाओं का दम पर उत्तर प्रदेश का सबसे उच्चतम पुरस्कार यश भारती भी अपने नाम कर लिया जो आपको 2016 में दिया गया था |
आपने 2019 में राजनीति में उतर गए, जिसमें आपको हार का सामना भी करना पड़ा, और बाद में आपको जीत हासिल हुई, अभी करंट में आप कांग्रेश राज्यसभा की सदस्यों में से एक हैं|
मुझे याद है शायद 2014 में मेरा आसमां तक चल रहा था एमडीपीजी प्रतापगढ़ से तो आप के सौजन्य से आईटीआई ग्राउंड प्रतापगढ़ में हम नाम से एक मुशायरे का आयोजन किया गया था दुलाल पूरी दुनिया देख रही थी उस मुशायरे में मुझे भी आपको सुनने का और भी बड़े कवियों को सुनने का लाइव मौका मिला था झूले पर एक रचना पढ़ी:
जिले को किसकी लगी नजर जो मुझे बहुत पसंद आई |
किसकी लगी नज़र......?
ज़िले को किसकी लगी नज़र...?
चीख-चीख कर यही कह रहा आज मुज़फ़्फ़र नगर..!!
जिस मिट्टी के प्यार का नग़्मा हर इक होठ पे पलता था.. ...
जिस मिट्टी पर सैंतालिस से अम्न का दीपक जलता था..!
जिसे चौधरी चरण ने अपने ख़ून से पाला-पोसा था..
जिसकी यकजहती पे मुनव्वर हसन को बड़ा भरोसा था..!
जहां बानबे के दंगों में अम्न बचा था ज़िंदा..
जिस मिट्टी पर कभी तिरंगा हुआ नहीं शर्मिंदा..
उसी ज़मीं पर आज सियासत जलवाती है घर..
यही कह रहा मुज़फ़्फ़र नगर.. ज़िले को किसकी लगी नज़र......
जहां कभी कल्याण देव ने ज्ञान का दीप जलाया..
जिसे नवाज़ुद्दीन ने अपनी ख़ुशबू से महकाया..
जिसके लियाक़त ने तो पाकिस्तान पे राज किया है..
उस मिट्टी को दंगों ने शर्मिंदा आज किया है..
जिस मिट्टी पर लिखी गई थी कभी बहिश्ती ज़ेवर
उस मिट्टी पर नेताओं के ये ज़हरीले तेवर..
डर है कहीं ये मिट्टी अब हो जाए ना बंज़र..
यही कह रहा मुज़फ़्फ़र नगर.. ज़िले को किसकी लगी नज़र...|
उस मुशायरा में बहुत सी कवित्री यों के साथ राहत इंदौरी साहब को भी सुनने का मौका मिला था, उस मुशायरे के बाद ही आप की छवि पूरी दुनिया में फैल गई उसके बाद ही आपको दुबई मुशायरा हमारी एसोसिएशन में भी आमंत्रित किया गया था |
आप हमारे जिले और देश के गौरव हैं, हम आपके आभारी हैं, और हम आपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं |
मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है |
हमारे इस पोस्ट को पढ़ने के लिए हम आपका आभार व्यक्त करते है | इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा Facebook, Whatsapp जैसे सोशल मिडिया पर जरूर शेयर करें | धन्यवाद !!!
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