तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है
तेरे आगे चाँद पुराना लगता है
तिरछे तिरछे तीर नज़र के लगते हैं
सीधा सीधा दिल पे निशाना लगता है
आग का क्या है पल दो पल में लगती है
बुझते बुझते एक ज़माना लगता है
सच तो ये है फूल का दिल भी छलनी है
हंसता चेहरा एक बहाना लगता है
माशूक का बुढ़ापा लज्ज़त दिला रहा है
अंगूर का मज़ा अब किशमिश में आ रहा है
Movie/Album: यूनिक (1996)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: कैफ भोपाली
Performed By: जगजीत सिंह
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