महादेवी वर्मा का जीवन परिचय | Mahadevi Verma
छायावाद युग में बेसुमार हिंदी भाषा की कवयित्री महादेवी वर्मा का जन्म
२६ मार्च १९०७ फर्रुखाबाद में हुआ था |
आपके पिताजी श्री गोविन्द प्रसाद वर्मा एक अध्यापक और माता जी हेमरानी देवी गृहणी थी |
आपके पति श्री स्वरुप नारायण वर्मा जो वरेली नबाबगंज से थे दशवी कक्षा में हुई|
आपके मुहबोले भाइयो में सुमित्रा नंदन पन्त और निराला जी सामिल है जो आपसे राखी बंधवाते थे |
संस्कृत और बांग्ला भाषा में निपुण, आपके गीतों और नाद सौन्दर्य की प्रकृति अद्धितीय है |
आपकी उच्च शिक्षा इलाहबाद यूनिवर्सिटी से (जो अभी प्रयागराज यूनिवर्सिटी के नामे से जाना जाता है) संस्कृत में हुई|
और आगे आप प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्य बनी और जीवन के आखिरी साँस तक आप कार्यशील रही|
आपको कुशल चित्रकार, कुशल अनुवादक के रूप में भी याद किया जाता है |
आपका बाल विवाह हुआ था, लेकिन आपने अविवाहित की तरह जीवन जिया, आप उस सदी की सबसे प्रसिद्ध महिला के रूप में जानी जाती है,
सन १९८२ में भारत सरकार के आपको ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया |
आपकी मृत्यु 11 सितम्बर १९८७ को हुआ था |
आपकी कविता संग्रह: निहार १९३० और रश्मि १९३२ जो आपने उच्च शिक्षा पूरी होने के पश्चात ही प्रकाशित हुई थी, बाद में नीरजा १९३४, सांध्यगीत १९३६, दीप शिखा १९४२, सप्तपर्णा १९५९,प्रथम आयाम १९७३, अग्निरेखा १९९० प्रकाशित हुई|
गद्द साहित्य में भी आपका बहुत योगदान है, कहानी में गिल्लू, निबंध में श्रृखला की कड़ियाँ १९४२और विवेचनात्मक गद्य, संकल्पिता १९६९ , संस्मरण में पथ के साथी १९५६ मेरा परिवार १९७२ संस्मरण १९८३ और रेखा चित्र में अतीत के चलचित्र १९४१, और स्मृती के रेखाए १९४३, और साथ ही आपने सब का संग्रह हिमालय १९६३ की भी रचना की |
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