रमइया बिन यो जिवडो दुख पावै।
कहो कुण धीर बंधावै॥
यो संसार कुबुधि को भांडो, साध संगत नहीं भावै।
राम-नाम की निंद्या ठाणै, करम ही करम कुमावै॥
राम-नाम बिन मुकति न पावै, फिर चौरासी जावै।
साध संगत में कबहुं न जावै, मूरख जनम गुमावै॥
मीरा प्रभु गिरधर के सरणै, जीव परमपद पावै॥
शब्दार्थ :- जिवड़ो = जीव। कुबुधि = दुर्बुद्धि। भांडो = बर्तन। कुमावै = कमाता है। चौरासी = चौरासी लाख योनियां।
- मीराबाई- Meera Bai
#www.poemgazalshayari.in
||Poem|Gazal|Shaayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||
Please Subscribe to our youtube channel
https://www.youtube.com/channel/UCdwBibOoeD8E-QbZQnlwpng
No comments:
Post a Comment