राम-नाम-रस पीजै।
मनवा! राम-नाम-रस पीजै।
तजि कुसंग सतसंग बैठि नित, हरि-चर्चा सुणि लीजै।
काम क्रोध मद मोह लोभ कूं, चित से बाहय दीजै।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, ता के रंग में भीजै।
- मीराबाई- Meera Bai
#www.poemgazalshayari.in
||Poem|Gazal|Shaayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||
Please Subscribe to our youtube channel
https://www.youtube.com/channel/UCdwBibOoeD8E-QbZQnlwpng
No comments:
Post a Comment