मोरी लागी लटक गुरु चरणकी॥ध्रु०॥
चरन बिना मुज कछु नही भावे। झूंठ माया सब सपनकी॥१॥
भवसागर सब सुख गयी है। फिकीर नही मुज तरुणोनकी॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। उलट भयी मोरे नयननकी॥३॥
- मीराबाई- Meera Bai
#www.poemgazalshayari.in
#Poem #Gazal #Shayari #Hindi Kavita #Shayari #Love shayari
Please Subscribe to our youtube channel
https://www.youtube.com/channel/UCdwBibOoeD8E-QbZQnlwpng
No comments:
Post a Comment