संत ची संगति संत कथा रसु।
संत प्रेम माझै दीजै देवा देव।। टेक।।
संत तुझी तनु संगति प्रान। सतिगुर गिआन जानै संत देवा देव।।१।।
संत आचरण संत चो मारगु। संत च ओल्हग ओल्हगणी।।२।।
अउर इक मागउ भगति चिंतामणि। जणी लखावहु असंत पापी सणि।।३।।
रविदास भणै जो जाणै सो जाणु। संत अनंतहि अंतरु नाही।।४।।
- रैदास- Raidas
#www.poemgazalshayari.in
||Poem|Gazal|Shayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||
No comments:
Post a Comment