पांवन जस माधो तोरा।
तुम्ह दारन अध मोचन मोरा।। टेक।।
कीरति तेरी पाप बिनासै, लोक बेद यूँ गावै।
जो हम पाप करत नहीं भूधर, तौ तू कहा नसावै।।१।।
जब लग अंग पंक नहीं परसै, तौ जल कहा पखालै।
मन मलन बिषिया रंस लंपट, तौ हरि नांउ संभालै।।२।।
जौ हम बिमल हिरदै चित अंतरि, दोस कवन परि धरि हौ।
कहै रैदास प्रभु तुम्ह दयाल हौ, अबंध मुकति कब करि हौ।।३।।
- रैदास- Raidas
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