माटी को पुतरा कैसे नचतु है।
देखै देखै सुनै बोलै दउरिओ फिरतु है।। टेक।।
जब कुछ पावै तब गरबु करतु है। माइआ गई तब रोवनु लगतु है।।१।।
मन बच क्रम रस कसहि लुभाना। बिनसि गइआ जाइ कहूँ समाना।।२।।
कहि रविदास बाजी जगु भाई। बाजीगर सउ मोहि प्रीति बनि आई।।३।
- रैदास- Raidas
#www.poemgazalshayari.in
||Poem|Gazal|Shayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||
No comments:
Post a Comment