जो है, क्या-क्या है, जो नहीं है, क्या नहीं है,
मेरे पास, उनके पास।
सब चेहरे, सब खुशियाँ, सब सुबहें उनके वश में,
उजियारे, रंग सारे, उनके मन में, उनके रस में,
जो वहाँ है, सब नया है, जो भी है, सब वहीं है,
उनके पास, उनके पास।
सब कर्ज़-कर्ज़ क़िस्से, सब दर्द-दर्द लम्हे,
जले सर्द-सर्द चेहरे, जो बुझे-से, मेरे हिस्से,
मेरे नाम सब उधारी, कई खाते हैं, बही है,
मेरे पास, मेरे पास।
सुख कितना, और कितना, जो लूटे नहीं जाते,
दुख कितना, और कितना, हमको बहुत सताते,
जो है, बड़ा-बड़ा है, जो ग़लत है या सही है,
मेरे पास, उनके पास।
- जयप्रकाश त्रिपाठी- Jayprakash Tripathi
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