जेब में रख कर पैसे चार,
भालूजी पहुंचे बाजार।
सब्जी की जब कीमत पूछी,
तब उनको चढ़ गया बुखार।
किसे खरीदें, किसको छोड़े,
बड़ी देर तक किया विचार।
कुछ भी समझ नहीं आया तो,
घर लौटे वापस मन मार।
बीवी से बोले धीरे से
रोटी-दाल करो तैयार।
सब्जी का क्या काम, निकालो
बरनी में जो धरा आचार।
- उषा यादव- Usha Yadav
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