जब रामनाम कहि गावैगा,
तब भेद अभेद समावैगा ॥टेक॥
जे सुख ह्वैं या रसके परसे,
सो सुखका कहि गावैगा ॥१॥
गुरु परसाद भई अनुभौ मति,
बिस अमरित सम धावैगा ॥२॥
कह रैदास मेटि आपा-पर,
तब वा ठौरहि पावैगा ॥३॥
- रैदास- Raidas
#www.poemgazalshayari.in
||Poem|Gazal|Shaayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||
No comments:
Post a Comment