दौड़े –दौड़े आ रहे,
छोटे –छोटे बादल।
ऊधम मचा रहे,
छोटे –छोटे बादल।
सिक्का एक पाँच का,
जाने कहाँ गिर गया।
ढूँढ नहीं पा रहे,
छोटे –छोटे बादल।
बिजली की टार्च जली,
फैल गई रोशनी।
सिक्का उठा रहे,
छोटे -छोटे बादल
माँ ने आवाज़ दी –
खेलोगे कब तक,
वापस घर जा रहे,
छोटे –छोटे बादल।
- उषा यादव- Usha Yadav
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