अब मैं सरण तिहारी जी, मोहि राखौ कृपा निधान।
अजामील अपराधी तारे, तारे नीच सदान।
जल डूबत गजराज उबारे, गणिका चढ़ी बिमान।
और अधम तारे बहुतेरे, भाखत संत सुजान।
कुबजा नीच भीलणी तारी, जाणे सकल जहान।
कहं लग कहूँ गिणत नहिं आवै, थकि रहे बेद पुरान।
मीरा दासी शरण तिहारी, सुनिये दोनों कान।
- मीराबाई- Meera Bai
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