अब हम खूब बतन घर पाया।
उहॉ खैर सदा मेरे भाया।। टेक।।
बेगमपुर सहर का नांउं, फिकर अंदेस नहीं तिहि ठॉव।।१।।
नही तहॉ सीस खलात न मार, है फन खता न तरस जवाल।।२।।
आंवन जांन रहम महसूर, जहॉ गनियाव बसै माबँूद।।३।।
जोई सैल करै सोई भावै, महरम महल मै को अटकावै।।४।।
कहै रैदास खलास चमारा, सो उस सहरि सो मीत हमारा।।५।।
- रैदास- Raidas
#www.poemgazalshayari.in
||Poem|Gazal|Shayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||
No comments:
Post a Comment