प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Sunday, April 12, 2020

यूँ तो सदा-ए-ज़ख़्म बड़ी दूर तक गई - yoon to sada-e-zakhm badee door tak gaee -गुलाम मोहम्मद क़ासिर - Ghulam Mohammad Kasir #poemgazalshayari.in

यूँ तो सदा-ए-ज़ख़्म बड़ी दूर तक गई
इक चारा-गर के शहर में जा कर भटक गई

ख़ुश्बू गिरिफ़्त-ए-अक्स में लाया और उस के बाद
मैं देखता रहा तेरी तस्वीर थक गई

गुल को बरहना देख के झोंका नसीम का
जुगनू बुझा रहा था की तितली चमक गई

मैं पढ़ा था चाँद को इंजील की तरह
और चाँदनी सलीब पे आ कर लटक गई

रोती रही लिपट के हर संग-ए-मील से
मजबूर हो के शहर के अंदर सड़क गई

क़ातिल को आज साहब-ए-एजाज़ मान कर
दीवार-ए-अदल अपनी जगह से सरक गई

गुलाम मोहम्मद क़ासिर - Ghulam Mohammad Kasir

#poemgazalshayari.in

No comments:

Post a Comment

HDD, SSD और NVME डिस्क ड्राइव में सबसे बेहतर कौन है ? Definition | परिभाषा

HDD, SSD और NVME डिस्क ड्राइव में सबसे बेहतर कौन है ? कंप्यूटर की सबसे महत्वपूर्ण क्षमताओं में से एक यह है कि वे हमें विश्वसनीयता के साथ बहु...