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Friday, April 24, 2020

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो - tum itana jo muskura rahe ho -- कैफ़ी आज़मी - Kaifi Azmi #poemgazalshayari.in

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो

आँखों में नमी हँसी लबों पर
क्या हाल है क्या दिखा रहे हो

बन जायेंगे ज़हर पीते पीते
ये अश्क जो पीते जा रहे हो

जिन ज़ख़्मों को वक़्त भर चला है
तुम क्यों उन्हें छेड़े जा रहे हो

रेखाओं का खेल है मुक़द्दर
रेखाओं से मात खा रहे हो

- कैफ़ी आज़मी - Kaifi Azmi


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