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Saturday, April 18, 2020

अज़ा में बहते थे आँसू यहाँ, लहू तो नहीं - aza mein bahate the aansoo yahaan, lahoo to nahin -- कैफ़ी आज़मी - Kaifi Azmi #poemgazalshayari.in



अज़ा में बहते थे आँसू यहाँ, लहू तो नहीं
ये कोई और जगह है ये लखनऊ तो नहीं

यहाँ तो चलती हैं छुरिया ज़ुबाँ से पहले
ये मीर अनीस की, आतिश की गुफ़्तगू तो नहीं

चमक रहा है जो दामन पे दोनों फ़िरक़ों के
बग़ौर देखो ये इस्लाम का लहू तो नहीं

- कैफ़ी आज़मी - Kaifi Azmi

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