मेरे मत होओ
पर अपने को स्थगित करो
जैसा कि मैं अपने सुख-दुःख का नहीं हुआ
दर्द अपना मैं ने खरीदा नहीं
न आनन्द बेचा;
अपने को स्थगित किया
मैं ने, अनुभव को दिया
साक्षी हो, धरोहर हो, प्रतिभू हो
जिया।
sachchidanand hiranand vatsyayan "agay"- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय"
#Poem Gazal Shayari
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