शिशर ने पहन लिया वसन्त का दुकूल
गंध बह उड़ रहा पराग धूल झूले
काँटे का किरीट धारे बने देवदूत
पीत वसन दमक रहे तिरस्कृत बबूल
अरे! ऋतुराज आ गया!!
sachchidanand hiranand vatsyayan "agay"- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन
#Poem Gazal Shayari
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