मैंने जो गीत तिरे प्यार की ख़ातिर लिक्खे
आज उन गीतों को बाज़ार में ले आया हूँ
आज दुक्कान पे नीलाम उठेगा उनका
तूने जिन गीतों पे रक्खी थी मोहब्बत की असास[2]
आज चाँदी के तराज़ू में तुलेगी हर चीज़
मेरे अफ़कार[3], मिरी शायरी, मिरा एहसास
जो तिरी ज़ात से मंसूब थे[4] उन गीतों को
मुफ़लिसी जिन्स[5] बनाने पर उतर आई है
भूक, तेरे रुख़े-रंगों के[6] फ़सानों के इवज़
चंद अशिया -ए- ज़रूरत की[7] तमन्नाई है
देख इस अर्सागहे - मेहनतो – सर्माया[8] में
मेरे नग्मे भी मिरे पास नहीं रह सकते
तेरे जलवे किसी ज़रदार[9] की मीरास सही
तेरे ख़ाके[10] भी मिरे पास नहीं रह सकते
आज उन गीतों को बाज़ार में ले आया हूँ
मैंने जो गीत तिरे प्यार की ख़ातिर लिक्खे
-साहिर लुधियानवी - saahir ludhiyaanavee
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