लफ़्ज़ एहसास—से छाने लगे, ये तो हद है
लफ़्ज़ माने भी छुपाने लगे, ये तो हद है
आप दीवार उठाने के लिए आए थे
आप दीवार उठाने लगे, ये तो हद है
ख़ामुशी शोर से सुनते थे कि घबराती है
ख़ामुशी शोर मचाने लगे, ये तो हद है
आदमी होंठ चबाए तो समझ आता है
आदमी छाल चबाने लगे, ये तो हद है
जिस्म पहरावों में छुप जाते थे, पहरावों में—
जिस्म नंगे नज़र आने लगे, ये तो हद है
लोग तहज़ीब—ओ—तमद्दुन के सलीक़े सीखे
लोग रोते हुए गाने लगे, ये तो हद है
लफ़्ज़ माने भी छुपाने लगे, ये तो हद है
आप दीवार उठाने के लिए आए थे
आप दीवार उठाने लगे, ये तो हद है
ख़ामुशी शोर से सुनते थे कि घबराती है
ख़ामुशी शोर मचाने लगे, ये तो हद है
आदमी होंठ चबाए तो समझ आता है
आदमी छाल चबाने लगे, ये तो हद है
जिस्म पहरावों में छुप जाते थे, पहरावों में—
जिस्म नंगे नज़र आने लगे, ये तो हद है
लोग तहज़ीब—ओ—तमद्दुन के सलीक़े सीखे
लोग रोते हुए गाने लगे, ये तो हद है
- दुष्यंत कुमार - Dushyant Kumar
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