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Tuesday, September 3, 2019

गिरिफ़्ता-दिल हैं बहुत आज तेरे दीवाने - girifta-dil hain bahut aaj tere deevaane - - नासिर काज़मी- Nasir Kazmi

गिरिफ़्ता-दिल हैं बहुत आज तेरे दीवाने 
ख़ुदा करे कोई तेरे सिवा न पहचाने 

मिटी-मिटी सी उम्मीदें थके-थके से ख़याल 
बुझे-बुझे से निगाहों में ग़म के अफ़साने 

हज़ार शुक्र के हम ने ज़ुबाँ से कुछ न कहा 
ये और बात के पूछा न अहल-ए-दुनिया ने 

बक़द्र-ए-तश्नालबी पुर्सिश-ए-वफ़ा न हुई 
छलक के रह गये तेरी नज़र के पैमाने 

ख़याल आ गया मायूस रहगुज़ारों का 
पलट के आ गये मंज़िल से तेरे दीवाने 

कहाँ है तू के तेरे इंतज़ार में ऐ दोस्त 
तमाम रात सुलगते रहे दिल के वीराने 

उम्मीद-ए-पुर्सिश-ए-ग़म किस से कीजिये "नासिर"
जो मेरे दिल पे गुज़रती है कोई क्या जाने 


- नासिर काज़मी- Nasir Kazmi


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