ख़मोश होता हे क्यूँ दरिया इश्तआल के बाद
सवाल ख़त्म हुए उस के इस सवाल के बाद
वो लाश डाल गया कत्ल कर के साए में
उसे ख़याल मिरा आ गया जलाल[2] के बाद
नये ज़माने का दस्तूर बस मआज़ अल्लाह[3]
नवाज़ता[4] है खिताबों[5] से इन्तकाल[6] के बाद
जहाँ [7] को मैं ने बस इतनी ही अहमियत दी है
के जितनी क़ीमत-ए-आईना [8] एक बाल [9] के बाद
ये फ़ूल, चाँद, सितारे ये कहकशाँ[10] ये घटा
अज़ीज़[11] ये भी हैं लेकिन तिरे ख़याल के बाद
वो शख़्स[12] मुझको बस इतना सिखा गया आदिल
किसी को दोस्त बनाओ तो देखभाल के बाद
- आदिल रशीद- aadil rasheed
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