प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Saturday, July 13, 2019

हवा कुछ ऐसी चली है बिखर गए होते - hava kuchh aisee chalee hai bikhar gae hote - - Mohammad Imran "Prataparh" - मो० इमरान "प्रतापगढ़ी"

हवा कुछ ऐसी चली है बिखर गए होते
रगों में खून न होता तो मर गए होते

ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ
हम अपने शहर में होते तो घर गए होते

हमीं ने जख्मे -दिलो-जाँ छुपा लिए वरना
न जाने कितनों के चेहरे उतर गए होते

हमें भी दुख तो बहुत है मगर ये झूठ नहीं
भुला न देते उसे हम तो मर गए होते

सुकूने -दिल को न इस तरह से तरसते हम
तेरे करम से जो बच कर गुजर गए होते

जो हम भी उस से जमाने की तरह मिल लेते
हमारे शामो – ओ शहर भी संवर गए होते

- Mohammad Imran "Prataparh" - मो० इमरान "प्रतापगढ़ी"

2 comments:

  1. ये "निदा फ़ाज़ली" साहब की ग़ज़ल है

    ReplyDelete
  2. मुआफ़ी चाहता हूँ ये ग़ज़ल "निदा" साहब की नहीं बल्कि उनके भाई "उम्मीद फ़ाज़ली" साहब की है

    ReplyDelete

HDD, SSD और NVME डिस्क ड्राइव में सबसे बेहतर कौन है ? Definition | परिभाषा

HDD, SSD और NVME डिस्क ड्राइव में सबसे बेहतर कौन है ? कंप्यूटर की सबसे महत्वपूर्ण क्षमताओं में से एक यह है कि वे हमें विश्वसनीयता के साथ बहु...